पूरी दुनिया कन्फ्यूज़ …दीपिका पोलकी या कुंदन ? सही क्या है ?

हाल के सालों तक पेरिस दुनिया में फैशन का मक्का हुआ करता था। बर्चस्व इस कदर कि दुनिया भर में फैशन ट्रेंड यहीं की गलियों से तय होते। लेकिन समय हर मोर्चे पर बदलाव लाता है। इंडिया-पाकिस्तान और काफी हद तक ईरान जैसे देशों के ट्रेंडी फैशन भी अब तेजी से फॉलो किए जा रहे…

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सफेद न बन सका काला पैसा काफूर

दो साल पहले द हिंदू की एक हेडलाइन मय खबर के मुताबिक इंडिया की ब्लैक इकनॉमी इसकी जीडीपी के 75 पर्सेंट के बराबर है। मतलब हम हर साल जितना पैदा करते हैं उसका सिर्फ 25 पर्सेंट विजिबल होता है, बाकी 75 पर्सेंट इनविजिबल? क्योंकि ये होता तो इकनॉमी का ही हिस्सा है लेकिन इस पर…

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युद्ध और युद्धोन्माद के जिम्मेदार देश के हुक्मरान और पब्लिक भी?

युद्ध और युद्धोन्माद के लिए जितना जिम्मेदार पड़ोसी मुल्क है उतना ही हमारे देश के हुक्मरान और पब्लिक भी है। वैसे युद्धोन्माद के मौजूदा हालात में हम हमेशा की तरह अपने सैनिकों को सपोर्ट करते हैं और पाकिस्तानी अपने फौजियों का हौसला बढाते हैं। लेकिन इन सबके बीच कोई सैनिकों और फौजियों के घरवालों से…

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देशप्रेमी रहें या या राष्ट्रवादी बनें ?

30 अगस्त, 2016: – ये सोमवार को पायनियर के संपादकीय पेज पर छपा कंचन गुप्ता का लेख है। जरा आप लोग भी गौर फरमाएं क्योंकि पांच कॉलम के इस लेख में सवा तीन कॉलम इजराइल के ऐतिहासिक महत्व की जगहों के जिक्र के साथ नाजियों के हाथों यहूदियों के जनसंहार की भयावहता के बारे में बताकर…

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समाज, देश और वैयक्तिकता

छुटपन में जब नया नया साइकिल चलाना सीखा था तब सोचता था, काश कुछ ऐसा हो जाए कि बस एक पैडल मारूं और साइकिल चलती ही चली जाए। जब बड़ा हुआ तो पता चला कि साइकिल फ्रिक्शन के चलते तेज नहीं चलती। फिर दिमाग के घोड़े दौड़े और इस नतीजे पर जा पहुंचे कि इसका…

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