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बाप के कब्जे से बेटा कैसे निकाले अपना माल ??

एक कसरती शरीर के सुखचैन अंकल हैं। पचहत्तर अस्सी साल उम्र है, पर लगते नहीं हैं। आजकल शरीर पर बहुत मेहनत कर रहे हैं। असल में एक नई नवेली आंटी से नैना चार हो गए हैं। एक बात बताना तो भूल ही गया। आंटी बड़ी चिल्लमचिल्ली करने वाली हैं। उनकी अपनी वाली नहीं हैं और पुरानी बोतल नई शराब लगती हैं। अंकल के दो बेटे और एक बेटी है।

कहानी के भीतर की असल कहानी बहुत, मतलब पचास साठ साल पुरानी है। तब इनकी शादी को 10 साल हो गए थे। मध्यमवर्गीय परिवार के थे और किसी तरह परिवार की गाड़ी खींच रहे थे। हैसियत नहीं थी कि बच्चों को पब्लिक स्कूल में डालें, तो सब सरकारी पाठशाला में डाल दिए गए। बड़ा लड़का शादी के कुछ साल बाद ही आंटी की गोद में आ गया था। तब अंकल का नौकरी के साथ आंख मटक्का चल रहा था।

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खैर। अभावों में पला बड़ा लड़का सुशील निकला। लड़की थोड़ी चुलबुली लेकिन ठीकठाक ही थी। पर छोटा लड़का एकदम चंट था। घर एकदम नहीं टिकता। कहीं कुछ दिलफरेब दिखता हाथ साफ कर देता। लड़ाई भिड़ाई में कभी पीछे ना हटता। जिस दिन घर शिकायत आती, वह भी टूटा फूटा लौटता। बाप देर से आते थे इसलिए लड़का उनकी खातिरदारी से बच जाता था। माता जी पहले ही खबर ले चुकी होती थीं इसलिए मामला दब जाता या दबा दिया जाता था।

दिवाली पर अंकल के साब ने घर पे पार्टी दी। सब बुलाए गए तो अंकल जी भी गए। साब का साज संभाल देख अंकल हिल गए। साब मूड में थे और सबको बोनस जी खोलकर बोनस दिया। उसी रात बच्चों की पॉकेट मनी बंध गई। बड़ा लड़का और लड़की तो लेन देन का पाई का हिसाब रखते थे। लेकिन छोटा लड़का छुटपन में ही बड़ा हो गया था। जुआ, शराब, मांस मच्छी, और … कुछ भी नहीं बचा था जो उसने ट्राई नहीं किया हो।

बच्चे बड़े हो गए। पहले लड़की की शादी हुई। गुल्लक का पाई पाई का हिसाब दे गई। फिर बड़ा लड़का दूल्हा बना। शादी का खर्च बाप के कंधे पड़ने ना दिया। गुल्लक की चिल्लर चवन्नी तक खर्च कर डाली। छोटे लौंडे के पास पिछले तीस साल में छह गुल्लक हो गए थे। सबमें अलग अलग काम के लिए पैसे होते थे। लेकिन बाप को कभी हिसाब किताब नहीं दिया। गुल्लक सात तह में छुपा कर रखता।

बाप का वेतन बढ़ता रहा। रिटायरमेंट तक ठीकठाक पैसे हो गए। लेकिन बचती इकन्नी दुअन्नी थी। रिटायरमेंट के बाद पेंशन पर जिंदगी आसान नहीं होती। एक दिन घर में हंगामा हो गया। रिश्तेदार आए थे, कुछ लेन देन करना था। तिजोरी खोली, माल जितना सोचा था उसका एक तिहाई था। बाप गरम हो गए लेकिन सबके सामने क्या करते। शक छोटे लौंडे पर ही गया। अंकल उससे बोले, बेटा कुछ पैसे चाहिए। रिश्तेदारी में देना है।

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बेटा चतुर। पूछा कितना चाहिए? अंकल बोले इतने में काम चल जाएगा। लड़का चंट आधे ही हैं। बोलो तो बाकी इंतजाम कर दूंगा। अंकल खून का घूट पीकर रह गए। फिर बोले, रहने दे बेटा। जितने हैं उतने ही दे दे। मिठाई और कपड़े लत्ते हो ही जाएंगे। अंकल ने एकदिन लड़के के कमरे में छापामारी कर दी। गर्लफ्रेंड की तस्वीर दिखी। खाते पीते घर की लगी। अंकल समझ गए। पैसा कहां जा रहा है।

फिर लगाया अपना पचहत्तर वाला दिमाग। कई रातों से गायब लड़का अचानक आ धमका। दीवार पर देखा नई वाली आंटी के साथ फूलमाला डाले पिता जी की फोटो थी। उसके कमरे का दरबाजा बंद था। अंदर से सेंट की हलकी खुशबू आ रही थी। लड़के की खोपड़ी खराब हुई। बाहर सोफे पर लेट गया। सोने की कोशिश की नींद नहीं आ रही थी। खैर। सुबह दरबाजे के साथ उसकी आंख खुली।

अंकल बोले बेटा। तेरा बिस्तर ऊपर लगा दिया है। हमें सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत होती थी इसलिए यहीं शिफ्ट हो गए। लौंडे ने पूछा सामान? अंकल ने कहा, तेरी किताबें, टीवी, लैपटॉप सब ऊपर डाल आया हूं। लॉकर की चाबी ठीक से लग नहीं रही थी इसलिए नया करा दिया।
लड़का सन्न। पूरा माल तो वहीं था। अब क्या करे?

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बाप को बता दे और पाई पाई का हिसाब दे और बोले कि बापू आधे पैसे तुम्हारे बुढ़ापे के लिए बचाए थे? या फिर किसी से चोरी करवा दे और पूरा माल फिर से अपने कब्जे में कर ले?

या फिर कमरे में चूहा छोड़ दे कि माल न मेरा हुआ तो किसी और का भी ना होने दूंगा। जितना ऐश कर लिया उतना काफी है। आगे कहीं और टोपी फिराऊंगा और माल बनाऊंगा।

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ऐसा लग रहा होगा ना कि ये घटना आजकल घटी किसी दूसरी घटना से मिलती जुलती है। ठीक है। उसको छोड़िए। ये बताइए कि छोटा बेटा पैसा बाप से शेयर करेगा? किसी से चोरी करवा लेगा। या फिर माल बर्बाद करने के लिए चूहा छोड़ देगा?