समाज, देश और वैयक्तिकता

छुटपन में जब नया नया साइकिल चलाना सीखा था तब सोचता था, काश कुछ ऐसा हो जाए कि बस एक पैडल मारूं और साइकिल चलती ही चली जाए। जब बड़ा हुआ तो पता चला कि साइकिल फ्रिक्शन के चलते तेज नहीं चलती। फिर दिमाग के घोड़े दौड़े और इस नतीजे पर जा पहुंचे कि इसका…

Read More